First Love
(Part-6)
राहुल नीलम को विदा कर वापस कमरे के अंदर चला गया। वह एक बार फिर मिलेनियम नाइट्स के पन्ने पलट रहा था। उसे मिलेनियम नाइट्स ऐसी लग रही थी जैसे नवोदय लाइफ में पहुँचने की टाइम मशीन हो। उसे एक-एक पल एक-एक घटना इस तरह याद आने लगते जैसे वह एक बार फिर उसका हिस्सा बन गया हो।
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दोपहर दो बजे दरवाज़ा चरमराने की आवाज़ से नीलम बिस्तर से उठी।
"नीलम अभी तक तैयार नहीं हुई? वहां कार खड़ी है बाहर।"
"तुम लोग मना करने के बाद भी क्यों आ गए? मुझे नहीं जाना है।"
"पागल, तेरा मूड होगा तभी जायेगी, नहीं होगा तो नहीं जाएगी..." शिल्पा बिना रुके बोले जा रही थी,"और तूने फोन तक स्विच ऑफ करके रखा है।"
काफी ना नुकुर के बाद वह आखिर तैयार हो ही गई।
नीलम का मन नहीं था लेकिन शिल्पा की ज़िद के आगे उसे समर्पण करना ही पड़ा।
भोपाल से कार तेज़ी से पचमढ़ी की तरफ बढ़ने लगी और वे सभी सामूहिक चर्चा में व्यस्त हो गए।
"मुझे विशाल ने बताया था कि वह बहुत ही शानदार जगह है।" ज़ोया बोल उठी।
"हाँ, बहुत नाम सुना है उसका। कई सारे स्पॉट हैं घूमने के लिए। सतपुड़ा की हरी वादियों में अपने लोग साथ होते हैं ना तो खुशियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं।"
"काश राहुल भी साथ होता।" नीलम सोच रही थी।
"मुझे तो जटाशंकर जाना है।"
"कुछ माँगना है क्या शिवजी से?"
"क्यों मांगने ही जाते हैं क्या?"
"श... इसके सामने माँगने की बात ना करो।" शिल्पा ने उदास नीलम की तरफ देखा लेकिन नीलम खामोश होकर राहुल की यादों में खोई हुई थी। उसे राहुल की कीमत का अंदाज़ा था। वह उसे ऐसे ही नहीं मिला था।
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(तीन साल पहले)
नीलम इंजीनियरिंग कॉलेज के पहले साल में थी। क्लास में उसके साथ शिल्पा भी बैठी थी। एक बिगड़ैल लड़का रोनी उसे काफी देर से टकटकी लगाए घूर रहा था। वह नीलम को बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन क्लास में उसे झेलना ही पड़ता था। बेचैन होकर नीलम बेंच से उठी और हॉस्टल जाने लगी। क्लास के दो लड़के भी रोनी के साथ उठकर पीछा करने लगे। वह पार्किंग प्लेस में जाकर अपनी स्कूटी चालू कर ही रही थी कि उसका मोबाइल नीचे गिर गया जिसे उठाने वह झुकी लेकिन उठते समय उसकी ओढ़नी किसी के स्पोर्ट-शू के नीचे दब गई थी। रोनी ने दायें पैर से उसे जानबूझकर दबाया हुआ था। नीलम को ज़ोर का गुस्सा आया।
"पैर हटाओ।" नीलम ने कहा लेकिन बदले में कोई हरकत नहीं हुई।
"सुना नहीं।" नीलम के चीखने पर उसने आराम से अपना पैर हटाया।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी ओढ़नी दबाने की।" वह भड़कते हुए बोली।
"और तुझे इतने जल्दी जाने की क्या ज़रूरत थी।"
रोनी क्लास में हर समय नीलम को ही घूरते रहता था और शायद वह उसे रोकना चाहता था लेकिन वह बोल ही नहीं पाया था।
"कमीना कहीं का।" नीलम के मुंह से शब्द सुनते ही रोनी के बदन में जैसे आग लग गई हो। वह तिलमिला गया था। उसके इशारा करते ही दोनों लड़के आक्रामक मुद्रा में आगे बढ़े। रोनी ने गुस्से से उसकी ओढ़नी पकड़कर खींची। नीलम फिर से चीखना चाहती थी लेकिन वे तो उसकी क्लास के ही लड़के थे इसलिये बात करके मामला सुलझाने का प्रयास किया।
"छोड़ो, छोड़ते हो या नहीं।"
"छोड़ो, नहीं तो मैं अभी शोर मचा दूंगी।"
लेकिन नीलम को अकेला पाकर रोनी उसके गाल चूमने का मन बना चुका था। वह अपने गोरे सपाट चेहरे को नीलम के गाल की तरफ बढ़ाने लगा।
अब नीलम को बचने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था।
"सटाक!" नीलम ने ज़ोरदार थप्पड़ उसके चेहरे में जड़ दिया। रोनी को इसकी बिलकुल भी उम्मीद ना थी। गुस्से में आकर उसने नीलम के बाल कसकर पकड़ लिए।
"तूने, तूने मुझे हाथ लगाया।"
"छोड़ो, मैं कहती हूँ छोड़ो मुझे। नीलम दर्द से छटपटाने लगी। उसके बाकी दो साथी भी पास में आ चुके थे।
"आज तो," रोनी गुस्से से बौखला गया था, "तुझे मैं।"
"छोड़ दो प्लीज!" अब मुसीबत से घिरी बेचारी नीलम मिन्नत करने लगी थी। वह समझ चुकी थी कि रोनी को थप्पड़ लगाकर उसने बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले ली थी। उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे।
"रोनी, छोड़ो ना दर्द हो रहा है।" लेकिन उसकी गुहार सुनने को आज रोनी तैयार नहीं था। पास में खड़े रोनी के दोनों बॉडीगार्ड मजे से देख रहे थे।
"छोड़ो।" एक बार फिर नीलम ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसकी गिरफ्त से निकलने का प्रयास किया लेकिन वह उसे केवल थोड़ी दूर तक ही धकेल पायी थी। पीछे दीवार होने के कारण वह भाग भी नहीं पा रही थी। उसे अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था जो क्लास से अकेले निकली थी। घबराहट में उसका पूरा शरीर थर-थर काँपने लगा था फिर भी वह हिम्मत जुटा रही थी।
"देखो अगर तुमने कुछ किया तो..." वह अँगुली दिखाकर गुस्सा और डर एक साथ लेकर कह रही थी,"तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
"हाहाहा, रोनी को धमकी।" रोनी अपने हाथों की आस्तीन चढ़ाते हुए दीवार से चिपकी असहाय नीलम की तरफ दोबारा बढ़ा।
"रोनी छोड़ दो प्लीज।" वह दोनों हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी थी लेकिन उसकी विनती सुनने वाला वहां कोई मौजूद नहीं था।
"सिर्फ, सिर्फ एक बार मेरी जान।" रोनी को नीलम पर अपनी जीत पर पूरा भरोसा था। वह उसे केवल किस करना चाहता था। कई दिनों से वह अपनी हसरत पूरी करना चाहता था और आज उसे मौका मिल गया था।
"तड़ाक!" एक करारा पंच उसके जबड़े में पड़ा।
"आह!" वह दर्द से कराह उठा। किसी ने उसके चेहरे में इतने ज़ोर से प्रहार किया था कि वह बिलबिला उठा था।
"आक्क, थू।" रोनी के मुँह से खून निकल आया था। उसे एक झटके में हथौड़े जैसे प्रहार से दिन में तारे नज़र आ गए थे। कोई फरिश्ता बनकर नीलम को बचाने आ पहुँचा था।
अब रोनी गुस्से में नीलम को छोड़कर उसकी तरफ पलटा वह पहले से ही सतर्क था और उसने पेट में एक किक लगा दी। स्थिति समझते ही पास में खड़े दोनो लड़कों ने उस पर एक साथ हमला कर दिया लेकिन उसकी चुस्ती-फुर्ती और शक्ति के आगे किसी की नहीं चल पाई। वह अकेले ही तीनों से मुकाबला कर रहा था। कुछ देर में मौका पाते ही तीनों ने उसे दबोच लिया। दोनों लड़के ताकत से उसकी बाहें जकड़े हुए थे। पीछे से रोनी का हाथ उसकी गर्दन में अजगर की तरह लिपटा हुआ था। बेचारी नीलम उसे चुपचाप खड़ी होकर सहमी सी देख रही थी। उसका ध्यान भी जैसे लड़को की तरफ ना होकर, केवल नीलम की तरफ तरफ था। वे दोनों एक दुसरे को देख रहे थे।
"जाओ, भागो वहां से जल्दी।" वह नीलम को भागने को कह रहा था।
शायद ऐसा ही होता है कि जो आपके लिए मुसीबत मोल ले, उसे आप बीच में छोड़कर जा ही नहीं सकते। नीलम ने पहली बार किसी के लिए अंदर से दर्द महसूस किया था। वह अपनी फ़िक्र किये बगैर अब आगे बढ़ी।
"छोड़ दो उसे। उसे जाने दो। मैं कह रही हूँ ना। उसे कुछ मत करो।" वह पहली बार किसी के लिए अंदर से तड़प रही थी।
नीलम उनके पास भी नहीं पहुँच सकी थी कि अचानक जैसे बादल गरजा, पलक झपकते ही पूरा माहौल बदल चुका था। जब तक वे समझ पाते वे तीनों ज़मीन में पड़े हुए थे। उनके साथ आसपास की कई मोटर साईकिल भी उनके टकराने से नीचे गिर चुकी थीं। वह लगातार सबको पीट रहा था।
रोनी जो काफी पिट चूका था अब उसने जेब से चाकू निकाल लिया था। उसके साथियों के पास भी हथियार थे। उन्हें देखकर नीलम डर से कांप गई।
"प्लीज, प्लीज बंद करो ये सब।" वह हाथ जोड़कर विनती कर रही थी क्योंकि उसने रोनी की धूर्तता के बारे में सुन रखा था।
वे अभी भी हथियारों के साथ सामने घेरकर खड़े थे।
"तेरी वजह से हुआ है ये सब। आज तुम दोनों को नहीं छोड़ेंगे।" रोनी पहली बार इतना अपमानित महसूस कर रहा था।
"अगर इसे ज़रा भी खरोंच आई तो...!"
लेकिन वो तीनों आगे बढ़ते रहे। नीलम उसके पीछे दुबक गई थी।
"ऐ...!" उन्हें आगे बढ़ता देख वह दहाड़ा। उसकी आवाज़ में शेर का दम था। उसका शरीर फूलकर दो फीट और विशाल हो गया था। उसका विराट रूप देखकर तीनों अपनी जगह पर ही जम गए थे। उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे खूँखार शेर उनके सामने आ गया हो जिसका एक प्रहार उन्हें दूसरी दुनिया में पहुँचा सकता था। उसकी चुस्ती-फुर्ती और शक्ति वे पहले ही देख चुके थे और उसके रौद्र रूप को देखकर वे अंदाजा लगा चुके थे कि उनके साथ आगे क्या हो सकता है इसलिए वे चुपचाप वापस लौट गए।
नीलम तो जैसे उसी समय से उसकी हो गई थी। उसने पहली बार अपनी आँखों से ऐसा व्यक्ति देखा था जो उसकी रक्षा करने किसी भी हद तक जा सकता था।
"कौन थे ये लोग?" उसने पूछा।
"मेरी क्लास के हैं लेकिन हमेशा मुझे घूरते रहते हैं, बार बार परेशान करते हैं। अक्सर पीछा करते हैं मेरा।"
वह चुपचाप सुन रहा था। उसे तो यह भी नहीं मालूम था कि आंसू बहाने वाली सामने खड़ी परेशान लड़की आखिर है कौन।
"ठीक है। अगर फिर कभी परेशान करे तो मुझे बताना राहुल नाम है मेरा, मेकैनिकल सेकंड ईयर में हूँ।"
"थैंक यू सो मच फॉर सेविंग मी।"
"हाँ, हाँ ठीक है, अब जाओ।"
वह कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी। शायद उसने बाद के लिए बचाकर रख लिया था। उसने स्कूटी स्टार्ट की और जाने जाने लगी।
"सुनो!" राहुल ने अचानक उसे रोका, "अकेले मत रहा करो, यहाँ का माहौल अभी खराब चल रहा है।"
"यस सर।" कहते हुए वह धीरे से आगे निकल गई जैसे कोई उसका अकेलापन दूर करने आ गया था। राहुल अपलक उसे देखते रहा।
जारी है...
©अज़ीम
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