FIRST LOVE
(भाग-5)
(यदि आप इसके चारों भाग चुके हैं ...)
"हेलो" नीलम शांत मन से बोली।
"नहीं यार तुम लोग चले जाओ।"
"नहीं, मैं नहीं आ पाऊँगी। तुम लोग देख लो।" कहकर उसने फोन रख दिया और आँख बंद कर लेट गई।
एक बार फिर उसके फोन की घंटी बजी।
"मैंने कहा ना मुझे नहीं जाना है बस।" वह इतने ज़ोर से चिल्लाईं जैसे वह आमने-सामने बात कर रही हो। लेकिन अब तक फ़ोन से उसे कोई आवाज़ सुनाई नहीं दी थी।
"अरे तुम, मुझे लगा मेरी फ्रेंड है।" उसे गलती का एहसास हुआ क्योंकि वह राहुल का फोन था।
"मैं ठीक हूँ।"
"हाँ कहा ना, और मुझे अभी काम है। मैं रखूँ अब?"
न तो उसके कॉलेज में कोई काम था और ना ही उसके हॉस्टल में, जाहिर है कि वह केवल रोना चाहती थी।
"मैं फोन रख रही।" कहते हुए उसने फोन काट दिया।
दस मिनट बाद फिर से फोन बज उठा।
"मैने कहा ना अभी..." वह राहुल पर पूरा गुस्सा उतार देना चाहती थी।
"ओह, अरे यार सुबह से कंफ्यूज हो रही हूँ।"
"मम्मा का बार-बार फोन आ रहा। वह बुला रही है।" एक बार फिर नीलम ने झूठ बोला लेकिन उसकी आवाज़ में दर्द था।
"नहीं यार मैं नहीं जाने वाली, मुझे नहीं जाना बस।" गुस्से में नीलम ने फ़ोन ही स्विच ऑफ कर दिया। उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था जो राहुल को दिल से चाहती थी, उसे राहुल पर गुस्सा आ रहा था जो केवल एक उपन्यास पढ़ने के चक्कर में पचमढ़ी नहीं आने वाला था और उसे उस उपन्यास पर गुस्सा आ रहा था जिसके बारे में राहुल ने बताया था। यदि वह सामने होती तो सबके सामने उसके एक-एक पन्ने फाड़कर आग में ख़ाक कर देती।
ब्लैंकेट ओढ़कर बिस्तर में सिसकती नीलम का रोना किसी को नहीं दिख रहा था वह घण्टों वैसी ही पड़ी रही। उसके दिमाग में हज़ारों डरावने ख्याल उमड़ रहे थे। उसे डर था कि कहीं राहुल उसे बीच में ही छोड़ तो नहीं देगा। ये लड़के ऐसे ही होते हैं ध्यान ना दो तो दुम हिलाते फिरते हैं और उन्हें भाव देने लगो तो अपनी प्रॉपर्टी समझने लगते हैं।
...
सौरभ के कमरे से जाने के बाद राहुल का दिन शुरू हुआ। ग्यारह बजे चुके थे और राहुल कुछ देर पहले ही तैयार होकर पढ़ने बैठा। उसे ध्यान आया कि कहीं नीलम का कॉल ना आ जाये लेकिन उसने पहले ही फोन से बात कर ली थी इसलिए उसके बाद कोई कॉल नहीं आया। वह मिलेनियम नाइट्स जल्दी पढ़कर ख़त्म करना चाहता था।
"सुमन! देखो इधर देखो मेरी तरफ।" वह टकटकी लगाए सुमन को देखते रहा लेकिन सुमन का ध्यान उसकी तरफ गया ही नहीं।
"ए, इस तरफ। उधर देखने से कुछ होने वाला नहीं। वह किसी और चीज़ से ज़्यादा अपनी पढ़ाई को चाहती है समझे।" शिवम पिछली बार लेटर देने पर गुस्से से भड़की सुमन के लेक्चर पर ताने दे रहा था।
"हाँ, तो इसमें गलत क्या है उसने सही तो कहा था कि उसके मम्मी-पापा ने उसे यह सब करने के लिए नहीं भेजा।" राहुल ने जवाब दिया। उस समय डाँट खाकर भी राहुल को उसकी कोई बात बुरी नहीं लगी थी।
"तो क्या तेरे मम्मी-पापा ने तुझे इसलिए भेजा है? बात करता है।" शिवम ने राहुल को फटकारा।
"सबसे ज़्यादा कैरियर ज़रूरी होता है लड़कियों के लिए। आई मीन टू से..." वह बोलते जा रहा था, "अगर लड़कियों ने स्कूल में अच्छा रिजल्ट नहीं बनाया तो पॉसिबल है कि उनकी पढ़ाई आगे ना हो, परिवार के लोग दबाव बनाकर उनकी शादी कर दें और इसके बाद उनकी लाइफ खत्म। बेचारी हर समय दूसरों के लिए ही जीती हैं।" राहुल गंभीरता लादे कह रहा था।
"अरे हाँ, कुछ दिन पहले ही तो चश्मिस सर ने कितने कॉन्फिडेंस से कहा था कि बारहवी के बाद इस क्लास की आधे से ज़्यादा लड़कियों की शादी हो जायेगी।" शिवम ने क्लास में बोले गए जियोग्राफी शिक्षक के कथन याद दिलाये।
"हाँ, और पता है शिवम, जब भी सुमन को गाते सुनता हूँ तो लगता है कि एक दिन यह मुम्बई ज़रूर जायेगी। इसकी आवाज़ में गजब की मिठास है यार।"
"मुझे बिलकुल नहीं लगता क्योंकि इसके माँ-बाप ने इसे केवल पढ़ाई के लिये भेजा है।" शिवम हंसने लगा।
"बट, आई थिंक सो।"
"बट, आई डोंट थिंक सो।" शिवम उसका खंडन कर रहा था।
राहुल ने उसका गला दबाया।
"अच्छा जाएगी, जायेगी। पर मेरा गला तो छोड़ तू।"
राहुल ने उसका गला छोड़ दिया।
"वह मुंबई जायेगी लेकिन पढ़ाई करने। हाहाहा..." कहते हुए शिवम ने ठहाका लगाया। सारे लड़के उसकी तरफ देखने लगे।
शिवम को लगा कि कुछ ज़्यादा ही हो गया तो वह टेबल पर सिर टिकाकर दोनों हाथों से चेहरा ढँक लिया।
राहुल गुस्से से शिवम की तरफ देख रहा था। सुमन का ध्यान भी शिवम तरफ होने के कारण एक बार फिर दोनों की नज़रें मिलीं और सब शांत हो गया।
...
लगभग दो घंटे तक मिलेनियम नाइट्स पढ़ने के बाद राहुल कमरे से उठकर बाहर गया। भोजन की घंटी बज चुकी थी और लड़कियां पानी के लिए हैंडपंप की तरफ बढ़ रही थीं। राहुल छत पर ही खड़े रहा। नीलम ने पहुँचते ही राहुल की तरफ मुस्कुराते हुए देखा। राहुल गर्ल्स स्कूल के उस गुलाब को देखकर पतंग की तरह हवा में उड़ने लगा उसे लगा कि वह छत से कूदकर सीधे नीलम के पास जाकर खड़ा हो जाये लेकिन वह उसे देखते ही रहा। जिस घर से उसका सम्बन्ध था उसे जानकर राहुल इतनी बड़ी गलती नहीं कर सकता था। वह दूर से ही उसकी ख़ूबसूरती को निहारते रहा। लेकिन भीड़ में नीलम ज़्यादा देर नहीं रही। वह अपनी एक सहेली को लेकर आगे बढ़ गई। राहुल ने उसे जाते देखा तो उस तरफ देखना ही छोड़ दिया। अब उसका ध्यान हैंडपंप से हटकर गर्ल्स स्कूल की तरफ था जो उसका खून बढ़ाया करता था लेकिन आज उसकी मात्रा कम मिल पाई थी।
वैसे तो वहां और भी खूबसूरत लड़कियाँ थीं लेकिन नीलम के बिना उसे अब रुचि नहीं थी। उसे केवल ऐसी भीड़ नज़र आ रही थी जिससे उसे कोई मतलब ना था।
"सुनिए।" पीछे से किसी की आवाज़ आई। राहुल ने आवाज़ की दिशा में देखा। उसके पास नीलम एक सहेली के साथ सीढ़ी से चढ़कर ऊपर आई थी। राहुल को लगा जैसे हवा के बिना नीचे आ रही पतंग अचानक आये एक झौके से फिर ऊपर उड़ने लगी हो।
"तुम, तुम यहाँ?"
"हाँ।"
"लगता है पहली बार आई हो, है ना?"
"नहीं हम लोग तो आते रहते हैं। सौरभ सर का रूम है ना।"
"ओह!" राहुल ने कहा, "लेकिन अभी सर नहीं हैं।"
"पता है हमें भी।"
"तो फिर किसलिए आये हो?"
"हमें ये गुलाब चाहिए।"
"नहीं मिलेंगे।"
"क्यों?"
"अच्छा मिलेंगे लेकिन एक शर्त पर।"
"कौन सी शर्त?"
"तुम लोग इन्हें हाथ नहीं लगाओगे, हम ही तोड़कर देंगे।"
"ठीक है तो फिर देर क्यों कर रहे? जल्दी दीजिये ना। हमने टिफ़िन भी नहीं खाया अभी।"
"ठीक है रुको बस अभी...।" राहुल ने एक सफ़ेद सा गुलाब तोड़ा और नीलम के हाथ में पकड़ा दिया।
"अब खुश...?" राहुल मुस्कुराया।
"एक बात पूछें?"
"हाँ, ज़रूर।"
"आप कंजूस तो नहीं हैं ना..."
"क्यों?"
"जो इतने सारे गुलाब रहने पर भी केवल एक ही दे रहे हो।"
"ठीक है एक और ले लो..." उसके भी दिमाग में तुरंत आया कि वह भी उसे लालची बोल दे, "लेकिन पौधे से फूल तोड़ना अच्छी बात नहीं इसलिए एक ही तोड़ा था तुम्हारे लिए।" वह उस गुलाब की वजह से जीते जागते गुलाब का दिल नहीं तोड़ना चाहता था।
"थैंक यू, अच्छी बात बताने के लिए अब से सिर्फ एक।" वह मुस्कुरा दी।
"एक क्या?" राहुल ने उसकी निश्छल आँखों में झांकने की कोशिश की।
"एक।" नीलम के दोनों हाथों में एक-एक गुलाब थे लेकिन पहले गुलाब को वह अपने चेहरे तक उठाए हुए उसकी खुशबु अपनी सांसों में भर रही थी।
"सिर्फ एक।" वह पहला सफ़ेद गुलाब था जो उसे किसी से मिला था।
"सुनो।" वह जाने के लिए मुड़ी ही थी कि राहुल की आवाज़ सुनकर थम गई।
"तुम्हारे घर का भोजन बहुत टेस्टी था। थैंक यू।"
"टेस्टी, अच्छा और खाना है?" नीलम ने पुछा।
"हाँ, बिल्कुल। अगर मौका मिल जाये तो।"
"तो फिर आ जाईयेगा कभी भी सौरभ सर के साथ।" वह मुस्कुराते हुए जाने लगी। उसे भी पता था कि राहुल की रुचि भोजन में कम और उसमें ज़्यादा थी।
"पक्का।" राहुल को लगा जैसे उसके अंदर आधा लीटर खून बढ़ गया हो। वह बहुत अधिक ताकतवर महसूस कर रहा था।
"अच्छा बाय..." ,कहते हुए वह सीढ़ी से उतरकर वापस स्कूल चल दी। राहुल उसे आँखों से ओझल होते तक देखते रहा।
जारी है...
©अज़ीम
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