First Love
(Part - 8)
"सुमन, ऐ सुमन, तू कहाँ है यार?" विभा चीखते हुए कमरे के अंदर घुसी। उसने पूरा हॉस्टल सिर में उठा लिया था।
"क्या हुआ?" सुमन पलंग में चादर झटककर बिछा रही थी ।
"फोटो स्टूडियो वाले भैया आये हैं।"
"अच्छा, सच्ची।" सुमन ख़ुशी से चहक उठी जैसे उसके घर से कोई मिलने आया हो।
फोटो शब्द सुनते ही सारी लड़कियाँ मशीन बनकर दोगुनी गति से अपने काम निपटाने लगीं। निशा काले रंग के पैटर्न वाली खूबसूरत हलकी पीली फ्रॉक पहनकर पहले ही तैयार थी। उसने अपनी सुनहरी गोल घड़ी कलाई में बाँधी। यह उसकी पसंदीदा वस्तु थी जिसे वह हमेशा अपने पास रखती थी और जो उसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती थी। पिछली गर्मी की छुट्टियों में ही उसे मामीजी ने गिफ्ट की थी। वह सैंडिल पहन रही थी। उसकी कत्थई चमड़े की सेंडिल और मैच करती सुनहरी घड़ी के साथ उसकी ख़ूबसूरती लड़कों के दिल में ऐसी आग लगाती कि सभी उसकी तरफ दाँतो तले ऊँगली दबाकर देखते रह जाते थे।
सुमन छत की तरफ दौड़ी। सीढ़ी में चढ़ते समय दिव्या मिली जो हाथ में कुछ सूखे कपड़े रखी हुई थी, उतरकर नीचे जा रही थी उसने सुमन की फुर्ती देखकर ही टोक दिया,
"अरे धीरे, धीरे। आराम से, इतनी जल्दी क्या है।"
"तुम जाकर फटाफट तैयार हो जाओ। मैं ऊपर जाकर बाकी को बुलाती हूँ।"
"अरे लेकिन हुआ क्या है?" दिव्या ने हैरानी से पूछा।
"फोटो, फोटोग्राफर भैया आये हैं।" सुमन ने हाँफते हुए कहा।
"अच्छा, सच्ची।" दिव्या को विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि पिछले कई हफ़्तों से वे लोग इंतज़ार कर रहे थे।
"अरे यार, जाकर जल्दी रेडी हो, वरना हम सब लेट हो गए तो..." वह अपना वाक्य अधूरा ही छोड़कर आगे बढ़ गई।
"यार तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो? जल्दी चलो नीचे। तैयार हो जाओ फोटोग्राफर भैया आये हैं। देर मत करना वरना शाम तक इंतजार करना पड़ेगा।" सुमन एक सांस में ही सब कुछ कह गयी।
ऊपर सभी तेज़ी से उतरने लगे जैसे सीढ़ी रेस हो रही हो। नीचे पहुँचते ही सभी तैयार होने में जुट गए।
"जल्दी से तैयार हो जाओ। हम लोग पानी की टंकी के पास चट्टान में चलते हैं।"
"यार चलो न जल्दी, वो गेट के सामने इंतज़ार कर रहे हैं, कहीं इस बार भी बॉयज की तरफ चले गए तो हम लोग इंतज़ार ही करते रह जाएंगे।'
"अच्छा चलो, जल्दी निकलो।" सुधा बोली।
"भैया, बस एक मिनट, हम लोग पहुँच ही रहे हैं।"
एक-एक कर लड़कियों का ग्रुप बाहर निकला और उन्होंने उस कैमरे वाले इंसान को चारों तरफ से घेर लिया।
लगभग पौने छह फीट लंबा, दुबला-पतला, रौबीली दाढ़ी-मूँछ के साथ नाक के ऊपर अंडाकार गहरे रंग का चश्मा, गेहुंए शरीर में एक पट्टे के सहारे फ्लेश लगा हुआ बड़ा सा कैमरा गले में लटकाए खड़ा था।
उसने नीले शर्ट में कत्थई पट्टी वाली शर्ट और काला पेंट पहना था। पैरों के आकार से काफी बड़े और नुकीले चमड़े के मैरून जूते थे, उसे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि वे शादी के जूते थे।
उसने नई और खूबसूरत ड्रेस के साथ सजी लड़कियों को देखा तो मुस्कुराया और अपने चश्में को हटाकर एक बार सभी को देखते हुए रुमाल से चश्मा साफ़ किया और फिर वापस लगा लिया। उसकी कमर में एक और बैग था जिसमें कैमरे का बाकी सामान रखा था।
"भैया, चलो ना जल्दी। अब देर ना करो।" विभा ने आगे गाइड किया।
"हाँ, ठीक है, और कोई हो तो उन्हें बता दो एक बार, फिर जिसे फोटो खिंचवानी हो तो वहीं बुला लेना।"
"हाँ भैया, जिन्हें आना होगा आ जाएँगी, सभी को पता चल गया है।"
"ठीक है। किसी को यहाँ गेट के पास खिंचवाना है?" उसने पूछा।
"अरे हाँ रे, हॉस्टल की भी तो यादें रहना चाहिए। चलो सब लोग यहाँ खड़े हो जाओ ऐसे।" विभा ने कहा- "मैं और सुधा पीछे खड़े रहेंगे, जिसकी हाइट कम है, उस हिसाब से एडजस्ट हो जाओ।"
"निशा, आजा, तू भी आजा वहाँ क्यों खड़ी है?" सुमन ने इशारे से उसे अपने पास बुलाया।
"नहीं दीदी आप लोग ही खिंचवाईये।" निशा दूर से ही बोली।
"अरे आ ना रे! अच्छा चल मेरे पास तो आजा कम से कम।"
तब वह जाकर सुमन के पास खड़ी हो गई। सभी लड़कियाँ अपनी पोजीशन ले चुकी थीं।
फोटोग्राफर ने कैमरा पकड़कर अपना एक हाथ सामने कर इशारा किया, ताकि सबका ध्यान कैमरे की ओर ही हो।
"सब लोग चीज़ कहो।"
जैसे ही लड़कियों के मुँह से निकला, उसने तुरंत क्लिक कर दिया।
"शाबाश, बहुत बढ़िया। एक और।" कहते हुए दूसरी फोटो भी क्लिक हो गई।
"गजब, बहुत ही शानदार पोज़ आया है ये वाला। एकदम रियल।"
फिर पीछे इशारा करते हुए पूछा,
"तुम्हारा क्या नाम है, वो पीछे से इनके सिर में जो सींग बनाये थे ना देखना जब फोटो आएगी तो हँस-हँसकर लोट-पोट हो जाओगे।" वह पेशेवर फोटोग्राफर था और हर फोटो की तारीफ करना जानता था। उसे पता था, ऐसे में वह दस बीस फोटो ही खींच पायेगा किंतु उन्हें तारीफों में फंसाता रहा तो सौ फोटो भी खींच सकता था। उसकी ज़रा सी तारीफ़ से ही लड़कियों के चेहरे की चमक बढ़ गई थी।
"भैया चलो अब पानी की टंकी के पास।" सुधा बोली। पानी की टंकी यानी फोटो खिंचवाने के लिए स्कूल की सबसे विशेष और शानदार जगह। सामान्यतः सभी वहाँ फोटो खिंचवाया करते थे। उसकी बात सुनकर ग्रुप में सभी फोटोग्राफर के साथ उस दिशा में चल पड़े।
इधर लड़के छत से फोटोग्राफर की प्रतीक्षा कर रहे थे। कुछ लड़के नीचे गेट के पास खड़े होकर उसके कैंपस की तरफ आने की राह देख रहे थे लेकिन उन्हें जब पानी की टंकी की तरफ जाते देखा तो वे समझ गए की अब अधिक समय हो जायेगा।
"राहुल जल्दी चल तुझे कुछ दिखाता हूँ।" मोहित ने हाँफते हुए कहा। वह छत से रूम डॉरमेट्री तक दौड़कर आया था।
जारी है...
अज़ीम
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