आसमान में चाँद एक ही है मगर सबका अपना अपना होता है...
सबका अपना एक चाँद होता है
यही तो है शायद इश्क़ का दस्तूर,
दिखता है पास मगर रहता है दूर
इतने बड़े फासले से दिल रोता है
सबका अपना एक चाँद होता है
आसमाँ पर देखें उसे याद करके
माँगते हैं खुदा से फरियाद करके
दिखता है कभी, कभी खोता है
सबका अपना एक चाँद होता है
हर शाम उसके ही करीब लाती है
सरसर हवाएँ कुछ गुनगुनाती हैं
रात भर जगाकर दिन में सोता है
सबका अपना एक चाँद होता है
मेसैज हो या कॉल या फिर हो चैटिंग
उसके लिए ही दिल करता है वेटिंग
दिखता है पास फिर भी दूर होता है
सबका अपना एक चाँद होता है
लिखा था जो कुछ वो गीत बन गया
मामा था कभी अब मीत बन गया
जब भी उसे देखूँ कुछ कुछ होता है
सबका अपना एक चाँद होता है