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वो कितना याद आता है
कभी रातों की बेचैनी,
कभी दिन की वो बेताबी,
जब भी करवट बदलते हैं,
वो कितना याद आता है।
कभी रिश्तों की जलती आग,
कभी पायल की वो छम छम
जब भी हालात बदलते हैं
वो कितना याद आता है
सुबह से शाम तक उनके
ख्यालों में खोये रहना
और फिर बरसों गुजर जाएँ,
वो कितना याद आता है।
बरसती बूँद में तरसे,
मचलती हसरतें दिल में,
यूँ ही कोई छोड़ चला जाए
तो कितना याद आता है।
-अज़ीम