हिंदी है भाषा एक ऐसी
हिंदी है भाषा एक ऐसी, कंठ जो शोभित करती है।
सूर्य-मुकुट, ओजस्वी-आभा, नीर ज्ञान का भरती है।।
व्याकरण से परिपूर्ण और लेखन में बलशाली है,
शीर्ष-हिमालय, क्षितिज दिवाकर
इसकी छटा निराली है।
अग्निपरीक्षा विधि-विधान में, हर भाषा इससे डरती है।
हिंदी है भाषा एक ऐसी, कंठ जो शोभित करती है।
राष्ट्रप्रेम में सबसे अव्वल, जन-जन को जान से प्यारी है,
चाहे जितनी कर लो मनमानी हर भाषा पर यह भारी है।
ममता की माटी पली बढ़ी, संस्कृत इसकी धरती है।
हिंदी है भाषा एक ऐसी, कंठ जो शोभित करती है।
शहर, ग्राम हर क्षेत्र जोड़कर, बहन को लेकर चलती है।
देख विदेशी भाषा इससे क्रोधित हो आग में जलती है।
गले लगाती सभी को अपनी बाहों में फिर भी भरती है।
हिंदी है भाषा एक ऐसी, कंठ जो शोभित करती है।
-अज़ीम