Milan Aisa Milan Tumse | Best Collection Poetry
मिलन ऐसा मिलन तुमसे
मिलन ऐसा मिलन तुमसे, कभी ना होगा सोचा था,
कभी बिछड़े जो दुनिया में, तो क्या होगा ना सोचा था।।
वक़्त की तेज़ आंधी में, गुजर गए ख़्वाब से लम्हे।
रिवायत बनके पन्ने फिर, चले आये ना सोचा था।।
कभी पूरब कभी पश्चिम, कभी उत्तर कभी दक्षिण।
मिलेगी ये दिशा सारी, इस जगह ये ना सोचा था।।
ज़मीं सोना उगलती है, समुन्दर मोती देते है।।
यहां हीरे निकलते हैं, घरों से ये ना सोचा था।
हसरतें पाने की खुशियाँ, ख़्वाहिशें उड़ने की हरदम।
पंख तुम ही लगा दोगे साथियों ये ना सोचा था।।