तेरी याद आती है
हर ढलते सूरज में तेरी याद आती है
सिमटती तन्हाई में तेरी याद आती है
समा है सुहाना बस साथ तेरा चाहिए
मौसमी अंगड़ाई में तेरी याद आती है।।
भीड़ है शहर में और हर तरफ शोर है
मशरूफियत ख्वाबी, दौलत का जोर है
इक बार बढ़ चले तो बढ़ते गए कदम
हर शबे-फुरकत में तेरी याद आती है।।
ताश के पत्तों में जोकर भी चल गए।
रक़ीब मेरे मुझसे, बेहतर निकल गए
वाबस्ता हुए जो उल्फत से जानशीन
अंगारों सी दहकती तेरी याद आती है।।
पहली दीद का तेरा ऐतबार कमाल था
आँखों ने देखी जन्नत वो तेरा जमाल था
आया था ज़िन्दगी में तूफ़ान की तरह
तू गुजर तो गया पर तेरी याद आती है।।
राब्ता ना था तुझसे ऐतबार भी ना था
दिल तेरा मेरे लिए बेक़रार भी ना था।
ग़मजदा हैं आँखें हालात-ओ-सब्र से
हश्र के पड़ाव पर तेरी याद आती है।।
-अज़ीम
शबे-फुरकत-जुदाई की रात
उल्फत-प्यार
राब्ता - रिश्ता
14/01/2018//1pm