इश्क़
पाकीज़ा इश्क़ तो इबादत है ना, रब की इनायत है जो इसी मख्लूक पर बरसी है। इश्क़ ही तो है ना जो रेशमी धागे से दो दिलों को जोड़कर सलामती की दुआ करता है। इश्क़ ही तो है जो ज़िन्दगी की कश्मकश को अपनी चाशनी में डुबो कर सबकुछ ठीक कर देता है। इश्क़ ही तो है ना जिसकी बानगी कई राँझे दे गए। खुद को शहीद कर दिया पर इश्क़ को आंच ना आने दी। वो फना होकर भी इश्क़ को बाइज़्ज़त क़ायनात का सबसे अज़ीम तौहफा बना गए।
इश्क़ करो तो लौटकर मत देखना अर्श से नीचे देखने पर अक्सर लोग लड़खड़ाकर गिर जाते हैं,
इश्क़ की बिसात बेइंतिहा ज़ीनत से भरी है, इसकी कसौटी में सिर्फ तुम्हें खरे उतरना है क्योंकि तुम्हारा इश्क़ पाकीज़ा है, तुम्हें तोहमत नहीं लगाना है उसपर।
इश्क़ जब भी करो शिद्दत से करो, हर लम्हे ऐसे जियो की उनके साथ ही ज़िन्दगी बीत जाए।
वक़्त की मार या हालातों से कभी जब जुदा हो जाओ तो ग़म मत करना दोस्तों, इश्क़ जितना भी होता है पूरा ही होता है...