क्रिकेट थ्रिल
कुछ दिन पहले एक मैच में मुझे कमेंट्री करनी पड़ी, क्रीज़ में एक सामान्य खिलाड़ी आया, हेलमेट के कारण चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। ऊपर से बड़ी प्रतियोगिता के कारण टीम पर दबाव था। कुछ जाने माने खिलाड़ी पहले ही छुट्टी मनाने चल दिए थे। खैर उम्मीद केवल मैदान पर मौजूद खिलाड़ी से ही की जा सकती है और जब वह बैटिंग पर हो तो सबसे ज़्यादा।
नीरस खेल के बीच उसकी बैटिंग की शुरुआत हो रही थी। विरोधी खिलाड़ी बड़े नाम और रौब के कारण पहले ही बढ़त बनाये हुए थे। ऐसे में किसी नए खिलाड़ी से उम्मीद केवल दिल को लॉलीपॉप देकर मनाना ही कहा जाये।
विकेट भी फिक्स मैच की तरह समय समय पर पहले ही गिर चुके थे। दो खिलाड़ी तो रिटायर्ड हर्ट होकर बाहर जा चुके थे लेकिन मैच के आखिरी तक कमेंट्री करनी थी। उसके मैदान में आते ही और प्रेशर बढ़ गया था। दर्शकों में सन्नाटा, टीम में सन्नाटा और कोच बेचारे दांतों से अंगुली के नाखून काट रहे थे। नॉन स्ट्राइक से उसे स्ट्राइक ही नहीं मिल रही थी। कप्तान की भी इच्छा थी कि वह नॉन स्ट्राइक पर ही रहे कम से कम दौड़ लगाने के लिए लेकिन ओवर समाप्त और अब तो उसे बैटिंग करनी ही थी।
ओवर की शुरुआत बॉलर की पहली गेंद पर एक करारे शॉट से हुई और बाल सीधे जाकर पॉइंट पर मौजूद खिलाड़ी के हाथ में जाकर चिपक गई। रन तो नहीं बना लेकिन क्षेत्ररक्षक को उसकी शक्ति का अंदाजा ज़रूर हो गया था तभी तो वह हाथ को दर्द से बार बार फूंकते हुए झटक रहा था। कोच की अंगुली अब भी दांतों के बीच फँसी हुई थी लेकिन कप्तान अपनी जगह से उछल पड़ा उसे लगा जैसे एक और विकेट गिर गया।
अगली गेंद बॉलर ने यॉर्कर डाली लेकिन पता नहीं कैसे गेंद उसके बल्ले को छूकर सीमा रेखा पार कर गई। स्कोर बढ़ने के अलावा किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। तीसरी गेंद बॉलर ने सनसनाती हुई फेंकी और गेंद विकेट कीपर के सिर के ऊपर से राकेट की तरह छः रन के लिए चली गई। दर्शकों की तालियों के बीच बॉलर की गालियां और उसका गुस्सा किसी को दिखाई ही नहीं दिया। खैर लगातार दो शॉट से मैदान का तापमान दस डिग्री बढ़ चुका था। दर्शक तो हाथ उठा उठाकर नए खिलाड़ी का उत्साहवर्धन कर रहे थे लेकिन विपक्षी टीम चिंतित हो गई थी।
विपक्षी कप्तान और गेंदबाज के बीच कुछ चर्चा हुई और एक वार फिर बल्लेबाज़ खेलने को तैयार था। चौथी बॉल फुल टॉस हुई और बैट्समैन के बैट से टकराकर मिड ऑन की तरफ लुड़कती चली गई। दो फील्डर के दौड़ने के बावजूद गेंद बाउंडरी को छूकर ही रुकी। दोनों फील्डर को लग रहा था कि उसे रोक लेंगे लेकिन गेंद भी उनको बाउंडरी तक दौड़ाकर ही मानी। दोनों निराशा से कंधे झुकाकर वापस लौटे। बॉलर ने फिर कुछ बोलने का प्रयास किया लेकिन बैट्समैन को टीम के लिए क्रिकेट खेलना था कुश्ती नहीं शायद इसी कारण उसे सीधा जवाब नहीं मिल रहा था। अगली लॉन्ग ऑफ में इतने करारे शॉट के साथ हवा में स्टेडियम की तरफ भागी थी जैसे किसी ने गोली चला दी हो। गेंद बेचारी छत पर जाकर अपनी सांस फुलाकर वहीँ बैठ गई अब वह आने को तैयार ही नहीं थी। उसे भी बैट्समैन की पिटाई का अंदाजा हो गया था। अंपायर को दूसरी गेंद बुलवानी पड़ी। बॉलर अपने जीवन की सबसे भयानक पिटाई होते हुए देख रहा था।
उसके पास फेंकने के लिए केवल एक बॉल बची थी। अचानक उसने खतरनाक निर्णय लिया और जाने के पहले बैट्समैन को घायल करने की सोची। उसने अपनी पूरी शक्ति समेटकर आग उगलती गेंद बैट्समैन की तरफ सीधे फेंकी। उसकी रफ़्तार इतनी तेज़ थी जितनी ज़िन्दगी में उसने कभी नहीं फेंकी थी। इस गेंद में उसने शक्ति के साथ गुस्सा और नफरत भी भर दी थी। गुस्से से फुँफकारती बॉल नए बैट्समैन की तरफ हवा को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। दर्शक भी समझ चुके थे कि बॉलर ने खतरनाक इरादे से दौड़ लगाकर पूरी ताकत से गेंद फेंका है। दर्शक उस गेंद के साथ साँसे और धड़कन तक रोक चुके थे। अंपायर के पास से गुजरता बॉलर ऐसा लगा जैसे उसने बॉल नहीं फेंकी बल्कि खुद ही बैट्समैन के पास जाकर उसके शरीर में टकरा जाएगा। सारा मैच उस पल फ्रीज़ हो चूका था। दर्शक समझ चुके थे कि बॉलर ने आग्नेय अस्त्र का प्रयोग किया है और वह बैट्समैन को भस्म करके ही छोड़ेगा। इधर कई दर्शकों की आँखों से आंसूं आँखों तक पहुँचकर लुढ़कने को तैयार थे। वे बेचारे समझ नहीं पा रहे थे कि वे उसे कैसे बचाएं। वे आज किसी खिलाड़ी को क्रीज़ में पहली और शायद आखिरी बार देख रहे थे। आसमान में ढेरों दुष्ट आत्माएँ चीखती हुई उसे अपनी तरफ बुला रही थीं। बादल भी घिरकर काले हो चुके थे और बिजली कड़कते हुए उसके बैट से टकराई तभी बिजली की दिव्य शक्ति से बैट घूमा और गेंद उससे भी अधिक गति से उड़ती हुई स्टेडियम के ऊपर से बाहर जा गिरी।
स्टेडियम में बैठे कोच और कप्तान आँख मलते हुए मैदान में देखने लगे। स्टेडियम के सारे दर्शक नए खिलाड़ी के उस शॉट को आँखें फाड़कर देख रहे थे। उनकी चीखें कान के परदे फाड़ रही थीं पूरे मैच में जो कुछ नहीं हुआ वो सभी इसी ओवर में हो चुका था।
आज एक इतिहास बनने को तैयार था और मैदान में इतिहास बनाने वाला सबके बीच अपना अस्तित्व साबित कर चुका था। आज एक खिलाड़ी अपनी काविलियत से सबके दिल में जगह बना चुका था। आज का सुपरस्टार डी. विलियर्स।