एलुमनी मीट
(आपके आने से तो जीनत है हमारी
ये गुलिस्ताँ है सबका मिलने का सबब है)
बीते थे जहाँ साथ वो सात साल हमारे,बरसों बिछड़ गए मगर भूले कहाँ हैं सारे।
वादा किसी से मिलने का तुमने भी किया होगा,
लब्जों से ना कहा हो पर आँखों से जिया होगा।
वो आएंगे ही तुम्हें भी उसी वादे का वास्ता है,
कहीं और ना मिल पाओगे बस यही रास्ता है।
छिपी हुई कसक दिल की आंखों में बसा लो,
सब काम छोड़ कर यारों एक दिन तो निकालो।
समझो क्यों है खामोश, वो क्यों रहते हैं तनहा,
जिया जिसने अब तक तुम्हें यादों में हर लम्हा।
उन्हें क्या तुम अब भी ऐसी ही सजा दोगे।
आने को सबसे मिलने क्या अपनी रज़ा दोगे
अज़ीम