उनसे मिले बिना कोई रह नहीं पाता है
उनसे मिले बिना कोई रह नहीं पाता है,
बातों ही बातों में उन्हीं मे खो जाता है।
ये उनकी अदाएं हैं या सादगी का जादू,
जो भी उन्हें देखे बस उन्हीं का हो जाता है।
रहबर भी उनको दिया है ख़ुदा ने ऐसा,
देखकर जिसे खुद वो चाँद शरमाता है।
फन हैं भरे जैसे तिलिस्मों का जाल हो,
फँसकर एक बार कोई बच नहीं पाता है।
आँधियाँ भी उसे कहाँ कैसे रोक पाएंगी,
राहे-रब के जानिब वो कदम जो बढ़ाता है।
मिले एक बार ज़िन्दगी के सफर में जो
आगे हर बार वह उसी के गीत गाता है।
लोगों का काफिला जिसकी मिसाल दे,
ज़िन्दगी में ऐसा नाम कहाँ कोई पाता है।
अपनी ही शर्त में जो जीता रहे अज़ीम,
दुनिया का असली शहंशाह कहलाता है।